#त्रिवेणी पर्यावरण और मौसम की लड़खाड़ती चाल को सुधारने में अहम भूमिका अदा करेंगी ये त्रिवेणी ।

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  • February 24, 2019
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  • Posted by: Santosh Yadav

#त्रिवेणी

हर ख़बर पढ़कर भूल जाने के लिए नहीं होती। साफ़ हवा और स्वच पर्यावरण तो सभी को छाइए मगर इसके लिए पहल करने में लोग देखने लगते हैं , कोसने लगते हैं “सरकार” को ये कोशिशें न तो ज़्यादा बड़ी है न मुश्किल है। ज़रूरी है जन जागृति , ज़िम्मेदारी , भागीदारी, सामाजिक दातिव और संकल्प। पटरी से उतरे पर्यावरण और मौसम की लड़खाती चाल को सुधारने के लिए आम जनता को जागना होगा “ज़िंदगी” या “ज़हर” में से एक का चुनाव करना होगा।

नमनजी                                                   #त्रिवेणी

Triveni

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त्रिवेणी क्या है?

ये तीन पेड़ (बड़, नीम , पीपल) जब त्रिक्रोण आकार में लगाते हैं। थोड़ा बढ़ने पर (6 या 7 फुट) इनको आपस में मिला देते हैं। जब इनका संगम हो जाता हैं तो ही यह त्रिवेणी कहलाती है। त्रिवेणी को खुले एवं सार्वजनिक स्थानों पर ही लगाया जाता है। जब त्रिवेणी लगाते हैं तो धरती माँ से उल्लास छलकता हुआ महसूस होता हैं। त्रिवेणी एक साधारण वृक्ष ना होकर इसका आध्यात्मिक महत्व है।

आध्यात्मिक क्यों?

त्रिवेणी में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का वास माना गया है। त्रिवेणी को लगाने, लगवाने या किसी भी तरह इसकी सेवा करने से समस्त देवता एवं पितृ स्वत: ही पूजित हो जाते हैं।

जैसा की आप सभी को विदित है कि हमारे यहाँ जब भी कोई मांगलिक कारज करते हैं तो यज्ञ का आयोजन किया जाता है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके और समस्त वातावरण शुद्ध हो जाए।

इसी भाँति त्रिवेणी को शास्त्रों में स्थायी यज्ञ की संज्ञा दी गयी है, जहाँ भी त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल हर क्षण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहता है। नज़ला, ज़ुकाम, छींकों से पीड़ित व्यक्ति यदि इसके नीचे