नमाज में रुकूं के बाद और सजदे से पहले सुकून से सीधा खड़ा होना वाजिब है इस हालत को "कोमा" कहते हैं। इस तरह दोनों सजदों के दरमियान रुकु से सीधा बैठना भी वाजिब है इस हालत को "जलसा" कहते हैं। कुछ लोग जल्दी करते हुए कोमा और जलसा में सुकून से 2 से 3 सेकंड के लिए सीधे नहीं होते और उनका वाजिब अदा नहीं होता और वाजिद अदा ना होने से नमाज भी अदा नहीं होती। दो- चार लोगों को सेंड कर दे, हजारों नहीं लाखों की इस्लाह हो जाएगी और आप सदका ए जारिया के मुसतहिक हो जाएंगे। अल्लाह हमारी नमाजों को दुरुस्त फरमाएे। आमीन या रब्बुल आलमीन!