नोंगमाइथेम रतनबाला देवी (जन्मः 12 फ़रवरी 1999) भारतीय फुटबॉलर हैं. वो मणिपुर राज्य टीम, भारतीय महिला फ़ुटबॉल टीम और इंडियन वुमेन्स लीग (आईडब्ल्यूएल) में क्रिफ्शा एफसी फ़ुटबॉल क्लब के लिए खेलती हैं.

व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि

मणिपुर के बिश्नुपुर ज़िले के नामबोल खाथोंग में 12 फ़रवरी 1999 को पैदा हुईं नोंगमाइथेम रतनबाला देवी ने मौज-मस्ती के लिए पड़ोस के लड़कों के साथ फुटबॉल खेलना शुरू किया था.

उनके पिता निजी कंपनी में ड्राइवर थे और उन पर अपने पाँच बच्चों को पालने की ज़िम्मेदारी थी ऐसे में आर्थिक परेशानियों के बावजूद उन्होंने रतनबाला देवी के फ़ुटबॉल करीयर को आगे बढ़ाया. [1]

भारतीय महिला फ़ुटबॉल टीम के लिए खेलने के उद्देश्य से रतनबाला देवी मणिपुर की राजधानी इम्फाल में आयोजित भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुई.

साई के केंद्र में कोच और प्रशिक्षण सुविधाएं थीं, लेकिन उनके पास टूर्नामेंट में खेलने के लिए टीम नहीं थी.

लिहाजा, देवी ने स्थानीय क्रिफ्सा एफसी (कंगचप रोड यंग फिजिकल एंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन) क्लब जॉइन किया. यहाँ उन्हें प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ साथ कोच ओजा छाओबा भी मिले.

जल्द ही वो विभिन्न घरेलू प्रतियोगिताओं में अपने गृह राज्य मणिपुर का प्रतिनिधित्व करने लगीं. [1]

प्रोफ़ेशनल उपलब्धियां

रतनबाला देवी के नेतृत्व में मणिपुर को कई घरेलू प्रतियोगिताओं में जीत मिली. [1] वो 2015 में भारतीय महिला जूनियर टीम में चुनी गईं. 2017 में वो भारतीय सीनियर महिला टीम में चुनी गईं और पहली बार उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया. [2]

हालाँकि उन्हें बतौर फॉरवर्ड खेलना पसंद है लेकिन राष्ट्रीय टीम के लिए वे मीडफील्डर और डिफेंस दोनों जगहों पर खेलती हैं.[2]

उन्होंने 2020 में भारतीय महिला लीग के चौथे संस्करण में अपनी टीम को फ़ाइनल में पहुँचाया. [4]

रतनबाला देवी नेपाल में आयोजित पाँचवी सैफ चैंपियनशिप 2019 में भारतीय महिला टीम का हिस्सा थीं. 2019 में उस भारतीय टीम का हिस्सा भी थीं जिसने 13वें दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. एएफसी महिला ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में भी वे भारतीय टीम का हिस्सा थीं. उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग और इंडोनेशिया के बीच फ्रेंडली मैच खेले हैं. इंडोनेशिया के ख़िलाफ़ एक मैच में देवी ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय हैट्रिक बनाई. [5] [6] स्पेन में 2019 के कोटिफ कप में, देवी ने बोलिविया के ख़िलाफ़ जीत में दो गोल किए थे [7]

उनकी विशेष क्षमताओं को देखते हुए एआईएफ़एफ़ ने उन्हें "भारतीय महिला टीम के मिडफील्ड की जान" बताया है. [3]